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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को पार्टी का नया सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण एजेंडा पेश करते हुए देश में वंचित वर्गों के अधिकारों और समानता की दिशा में तीन प्रमुख मांगों को रखा। यह घोषणाएं कांग्रेस की सामाजिक नीति को मजबूती प्रदान करती हैं और आगामी चुनावों में पार्टी के दृष्टिकोण को स्पष्ट करती हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य हर नागरिक को समान अवसर देना है, और इसके लिए जातिगत जनगणना, आरक्षण की 50% सीमा को समाप्त करना, और अनुच्छेद 15(5) को प्रभावी ढंग से लागू करना आवश्यक है।
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कांग्रेस की पहली मांग जातिगत जनगणना कराने की है। राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत आंकड़े देश की सामाजिक सच्चाई को दर्शाते हैं और इनके बिना किसी भी कल्याणकारी नीति को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने सरकार से मांग की कि आगामी जनगणना में जातिगत डेटा को शामिल किया जाए।
दूसरी मांग है आरक्षण की वर्तमान 50% सीमा को हटाना। कांग्रेस का तर्क है कि यह सीमा सामाजिक न्याय में बाधा बन रही है और यदि इसे हटाया जाए तो ज्यादा से ज्यादा वंचित वर्गों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
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तीसरी मांग के तहत कांग्रेस ने अनुच्छेद 15(5) को पूरी तरह लागू करने की बात कही है, जो शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। राहुल गांधी ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही सशक्तिकरण संभव है और यह कदम सामाजिक असमानता को दूर करने में मदद करेगा।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पहले जातिगत जनगणना को शामिल नहीं करने की बात कर रही थी, जबकि अब यह कहा जा रहा है कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी जुटाए जाएंगे।
दरअसल, 24 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ₹8,254 करोड़ की लागत से जनगणना 2021 की योजना को मंजूरी दी गई थी। इसमें घर सूचीकरण, आवास जनगणना और जनसंख्या गणना शामिल थी, लेकिन जातिगत जनगणना का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।
कांग्रेस का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाने से बच रही है और अब अप्रत्याशित रूप से यह खबर सामने आ रही है कि जातिगत जनगणना भी की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस का यह एजेंडा समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों को साधने की रणनीति हो सकता है। इससे एक ओर पार्टी की सामाजिक न्याय की छवि मजबूत होगी, वहीं दूसरी ओर आगामी चुनावों में दलित, पिछड़ा और आदिवासी समुदायों में उसकी पकड़ भी बढ़ सकती है।
अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस मांगों पर कैसी प्रतिक्रिया देती है और क्या देश की अगली जनगणना में जातिगत डेटा को औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा।
Last Updated
May 1, 2025, 8:42 a.m.
Location
Delhi, Delhi, India
Category
Politics
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